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आज अखिलेश के आने से पुरे प्रदेश को नयी आशाएं हो गयी हैं .ठीक भी है ,नए खून मैं कुछ तो कर दिखने का ज़ज्बा होता है वह उनसे भी अपेक्षित है .
परन्तु एक पुरानी कहावत है
‘ More things change more they remain same ‘
उदाहरण के लिए राजीव गांधी के युग को लीजये . नए नए राजीव ने मुंबई मैं कांग्रेस के पतन के मर्म को पकड़ा और देश व पार्टी के ठेकेदारों को ठीक करने का वायदा किया . समस्या को स्पष्ट रूप से समझने वाले राजीव गांधी स्वयं भ्रष्टाचार का पर्याय बन गये और बोफोर घोटाले ने उन्हें सत्ता चुयुत कर दिया .
पार्टी कि एक संस्कृति थी. प्रचड बहुमत के बाद भी राजीव गांधी कांग्रेस को नहीं बदल पाए बल्कि स्वयं उस के रूप मैं ढल गये .
ठीक इसी प्रकार समाजवादी पार्टी क एक संस्कृति है , गुंडई कि , कैसे अकेले देश विदेश मैं शिक्षित अखिलेश उसे बदल पाएंगे ये मुझे तो नहीं समझ आ पा रहा . मेरे हिसाब से देर सवेर गुंडे पार्टी पर हावी अवश्य हो जायेंगे .
हाँ इस बीच नयी सोच कुछ प्रदेश का विकास अवश्य कर देगी जो अति आवश्यक है .
इस लिए आशावान होना ठीक है पर अति आशावान होना ठीक नहीं .
गुंडाराज समाजवादियों का धर्म है इसे वे अंततः नहीं छोड़ पाएंगे .
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