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वी के सिंह : देशद्रोही या परम देश भक्त : सचिव भागो

With Malice To None
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पिछले कुछ दिनों में वी के सिंह को बहूत तनाव में डाला होगा . सरकार ने उनकी इस्राएल की यात्रा रद्द कर दी अपनी अप्रसन्नता व्यक्त कर देने के लिए . पर उनके द्वारा असम् में सेना कमांदर का नामांकन ना मान के सरकार ने स्वयं शेर की मूंछ खींचीं .
वी के सिंह का न्याय का पक्ष था .पर उन्हें न्याय नहीं मिलने दिया गया .तदोपरांत उनकी तरह तरह से बेईज्ज़ती की गयी .
उनकी इमानदारी पर शक की चादर तब हट गयी जब उन्होंने अपने सेनिओर जनरल की रिश्वत की पेशकाश ठुकरा दी. सब बेईमान मिल कर उन्हें पागल करार देने लगे .
IAS va IFS (NSA) सेना को अपने नीचे मानने लगे .प्रधान मंत्री ने सेनाध्यक्षों से महीने महीने अकेले मिलने की परंपरा को सुरक्षा सलाहकार के कहने पर तोड़ दिया .
अन्तोनी सेंट अन्तोनी बनने की फ़िराक में देश की रक्षा करना भूल गये .
बेईमान लोबी ने सिंह की चिठ्ठी लीक कर उन्हें फंसाने की एक निंदनीय कार्यवाही की .
रेतिरेमेंट के दो महीने पहले अपने को खतरे में दाल जनरल ने अपनी देश भक्ति सिद्ध कर दी है .
देश को टांकों के गोले भी ना दिला पाने वाले सचिव को तुरंत बर्खास्त किया जाय व सरकार अपनी बेईमानी की पसंद सेना व देश पर ना थोपे .
यदि विक्रम सिंह ने झूटी मुठभेड़ करने की कोशिश की थी तो वे सेना के नेतृत्व लायक नहीं हैं .
सेनानायक को किसी शक के घेरे में आना उचित नहीं है. शत्रु इससे उसे ब्लाक्मैल कर सकते हैं .
वी के सिंह का देश आभारी है की उन्होंने बेईमानों की कलई खोल दी.

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