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न भ्रष्ट मिटे न भ्ष्टाचार , केवल सरकार मिट गयी

With Malice To None
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अन्ना आंदोलन का पुनर्मूल्यांकन

देश को गंभीरता से सोचना पड़ेगा कि हमें अन्ना के आधे अधूरे आंदोलन से क्या मिला ?
भ्रष्ट तो नहीं मिटे !
क्या लालू , क्या पवार , क्या चिदंबरम ,क्या सोनिया , सभी तो छाती चौडी करे चल रहे हैं .
परन्तु सरकार मृतप्राय हो गयी . देश में कोई राज कर रहा है , ऐसा नहीं लगता . कभी ममता तो कभी समता ,सभी चीटिंयों के पर निकल आये .सब बाबु डरे हे हैं . कोई फाइल पर जरा सा भी खतरा नहीं लेना चाह रहा .इस लिए फ्लिलें सिर्फ टर्कायी जा रही हैं .
जो कभी नहीं हुआ था जैसे ग्रिड का फेल होना वह भी देख लिया .पुना का ब्लास्ट भी देख लिया .प्रधान मंत्री व् राष्ट्रपति को चोर कह के जो जग हंसायी हुई वो अलग .
देश कि प्रगति बिना कारण के धीमी हो गयी .

ये भी सह लेते अगर भ्रष्टाचार विरोधी अभियान ठीक चलता रहता . उसे बीच मझधार में छोड़ उसके माझी राजनीती कि दल दल में कूद गये .

तो एक बार सोचिये कि इससे देश को क्या मिला .

अगर मोदी को प्रधान मंत्री बना देते तो वह भ्रष्टाचार इससे कम कर देते और देश कि उन्नति दुगनी कर देते .
टीम अन्ना के नौ सिखये , अस्सम गन परिषद कि तरह टाएं टाएं फीस हो जायेंगे .
देश कि समस्याएं सिर्फ मोदी ही सुलझा सकते हैं

मोदी सत्य जगत मिथ्या

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