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मुंबई : क्या यह लेबनन सरीखे ग्रह्य युद्ध कि शुरुआत है

With Malice To None
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जब सरकार का अंत हो जाता है तो चीटियों के भी पंख निकल आते हैं .
मुंबई कि पुलिस व् मीडिया कि गाड़ियों को जलाने कि घटना को वास्तव में बांग्लादेसी समर्थकों के गृह युद्ध का ऐलान समझना चाहिए . यह मुसलमानों कि उम्माह का दुरूपयोग है .

ये भारत वासी होने का दम भरने वाले , करोडों हिंदुओं के बंगलादेश से निक्काले जाने के समय कहाँ थे .यह तीन लाख कश्मीरी पंडितों के घाटी से निकालने के समय कहाँ थे . यह सरदारों को अफघानिस्तान से निकाले जाने के समय कहाँ थे .यह हिंदुओं के इस्लाम में टीवी पर दिखाए जाने के समय कहाँ थे .
भारत का रोहिंग्यास से क्या लेना देना ?
वो बंगलादेश , पाकिस्तान या ५७ इस्लामिक देशों में क्यों नहीं शरण मांगते .
भारत में मुसलमानों कि जन संख्या कि बढोतरी हिंदुओं से ड्योढ़ी से ज्यादा है . और मुसलामानों को बुला के भारत को लेबनान बनाने कि तैयारी है .
सरकार को अपनी ढुलमुल नीतियों को तिलांजलि दे कर इस देश के विभाजन के प्रयासों को सख्ती से दबा देना चाहिए .

जागो सरकार जागो

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