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में फूलनदेवी से ज्यादा अजहरुद्दीन को अक्षम्य मानता हूँ .
फूलन देवी के साथ अत्याचार हुआ . उसे समाज , सरकार व् अदालत ने न्याय नहीं दिया . वह एक बार जब डाकू बन गयी तो उस राह पर चलती गयी .अंततः उसे अपनी करनी का फल मिल गया .
अजहरुद्दीन का किस्सा उल्टा है .
एक सामान्य परिवार का अच्छा पढ़ा हुआ पर सामान्य लड़का देश के दिल कि धडकन बन जाता है. देश उसे सर आँखों पर बिठाता है . और वह जिसे देश को हर कीमत पर जिताना चाहिए था देश को हराने का बीड़ा उठा लेता है . वह अपनी कप्तानी का दुरूपयोग कर एक सड़े सेब कि तरह सब टीम को सड़ने कि राह पर ड़ाल देता है. स्तंभित खिलाड़ी से कुछ उसके लालच के चुग्गे को चुग लेते हैं कुछ चुप रह कर विरोध करते हैं .अंततः यह रोग सारे संसार में फैल जाता है.
इस तरह तो सतवंत सिंह व् बेंत सिंह से भी ज्यादा अजहर कि गद्दारी निंदनीय है . सतवंत सिंह ने लालच के लिए नहीं देशद्रोह किया था . एक विशेष परिस्थिति ने उसे उद्वेलित कर दिया था और वह भले बुरे का ज्ञान खो बैठा .
परन्तु अजहरुद्दीन ने खुद ही नहीं बल्कि लालच को पूरी टीम में फैलाया .
आज हाई कोर्ट के फैसले से देश शर्मसार हो गया है.
यह कहाँ का न्याय है . सीबीआई ने इनक्वारी कि और ये कहा कि कोई आई पी सी का केस नहीं बनता क्योंकि जैसे कैच छोडना कोई अपराध नहीं है . सीबीआई ने अजहरुद्दीन को बेदाग़ नहीं बताया था .बीसीसीआई ने एक बार अकल दिखा कर देश कि क्रिकेट को बचा लिया . अजहर , जडेजा पर जीवन भर का प्रतिबन्ध लगा कर हमारी लाज रख ली . आज के फैसले ने देश को फिर शर्मसार कर दिया .
कोर्ट बीसीसीआई को एक मौका देने के लिए कह सकता था. पर अमाननीय संसद सदस्य को माननीय बनाना कहाँ का न्याय है .
अब तो देश प्रेमियों के आंसू भी सूख गये .
किस किस पर आंसू बहायें .
मेरा भारत सच मुच महान है
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